अंतरराष्ट्रीय सुविधाएं और सेवा
देश में आधुनिक बहुविध यातायात संभार तंत्र की सुविधाओं को विकसित करने के उद्देश्य से तथा देश के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय व्यापार में मदद देने के लिए रेल मंत्रालय के अधीन एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के रूप में मार्च 1988 में कॉनकॉर का गठन किया गया।
कंपनी ने भारतीय रेल से दिल्ली, लुधियाना, बैंगलोर, कोयम्बटूर, गुवाहटी, गंतुर और अनरापटी स्थित 7 अंतर्देशीय कंटेनर डिपो लेकर 01 नवंबर, 1989 से कार्य करना प्रारंभ किया। तब से लेकर कंपनी ने देश के मुख्य शहरों में कंटेनर टर्मिनलों का विशालतम नेटवर्क विकसित किया है। वर्तमान में कंपनी के पास कुल 41 एक्जिम टर्मिनल है (रेल मार्ग और सड़क मार्ग से जुड़े आईसीडी और पोर्ट साईड कंटेनर टर्मिनल) तथा 13 टर्मिनल निर्माणाधीन है।
निर्यातित और आयातित कंटेनरों के परिवहन का आरंभिक और समाप्ति स्थल पोर्ट ही नहीं होते। कंटेनरों के परिवहन में पोर्ट और हिंटरलैंड के बीच ट्रांसपोट लिंक की सुविधा कॉनकॉर प्रदान करता है। हिंटरलैंड में कॉनकॉर टर्मिनल और पोर्ट के बीच दोनों तरफ से नियमित कंटेनर ट्रेनें चलती रहती है। कुछ टर्मिनल तो सड़क मार्ग से भी जुड़े है। भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण और खुलेपन, आयात शुल्क में कभी तथा भारत सरकार द्वारा आयात निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की संख्या पर प्रतिबंधों की कमी के चलते भारत से आयात और निर्यात किए जाने वाले कंटेनरों में वृद्धि दिखाई दे रही है। भारतीय पोर्टों पर कंटेनरीकृत व्यवसाय में वृद्धि के साथ-साथ कंटेनरीकृत व्यवसाय के स्तर में भी वृद्धि हो रही है।
हिंटरलैंड में कंटेनरों के संचालन के कई प्रत्यक्ष फायदें है जिनमें कंटेनरों के जमावड़े को कम होना ही सबसे बड़ा फायदा है। इससे टर्नओवर और अधिक बढ़ता है जो आर्थिक वृद्धि में सहायक होता है। पोर्ट-वाहन पर कॉनकॉर की वर्तमान उपस्थिति आवश्यकतानुसार है। मुंबई में मुलंड, न्यु मुलंड एवं वाडी बुंडर स्थित कॉनकॉर टर्मिनल जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट और मुंबई पोर्ट ट्रस्ट को सेवाएं देते है। उसी तरह चैन्नई पोर्ट के लिए तोंडियारपेट और मद्रास बंदरगाह स्थित कॉनकॉर टर्मिनल तथा कोलकाता एवं हल्दिया स्थानों पर कॉनकॉर के कोसीपूर रोड एवं शालीमार स्थित टर्मिनल सेवाए देते है। कोचीन, टूटीकोर्न और विशाखापटनम में भी कॉनकॉर के अपने टर्मिनल है।
पोर्ट टाउन में कॉनकॉर टर्मिनल के होने व हिंटरलैंड की सुविधा के अतिरिक्त लदान मार्ग के दोनों सिरों को जोड़े रखकर संपूर्ण लॉजिस्टिक चेन पर नियंत्रण की सुविधा में सहायक होगा। रणनीति को आगे ले जाते हुए, ग्राहकों को समेकित परिवहन के संभारतंत्र समाधान प्रदान करने के उद्देश्य से ग्रीन फील्ड पोर्टो में कंटेनर बर्थ के परिचालन पर विचार किया जा सकता है। हिंटरलैंड टर्मिनलों के संचालन में आवश्यक विकसित विशेषज्ञता के बावजूद पोर्ट टर्मिनल किसी तकनीकी समस्या का सामना ना करना पड़े। जैसा कि बहुत से पोर्ट कंटेनर टर्मिनल का निजीकरण होता है उस स्थिति में कॉनकॉर के लिए कंटेनर परिचालन करना बड़ा कठिन होगा। पोर्ट टर्मिनलों और निजी पोर्टो पर भी कॉनकॉर द्वारा रेल फेश ऑप्रेशन किए जाने की सबसे अधिक संभावना है।
न्यू स्टेट ऑफ आर्ट रोलिंग स्टॉक की कॉनकॉर में शुरूआत से एक्जिम बिजनेस के क्षेत्र में दी जाने वाली सर्विस में गुणवता सुधार कर लंबी दूरी भी गेटवे पोर्ट से आयात निर्यात हेतु चलाए जाने पर पूरा जोर है। लगभग 1900 हाई स्पीड फ्लैट वैगन पहले ही खरीदे जा चुके है और 1300 अभी खरीदे जाने बाकी है। ये वैगन 100 कि.मी/घंटा तीव्र गति से दौड़ते है और सुरक्षा के मामलों में पंरपरागत रेलवे वैगन से बेहतर है। इन वैगनों से परिवहन खर्च में महत्वपूर्ण कमी तथा एक्जिम ट्रेन सर्विस की विश्वसनीयता में सुधार होगा।
कुछ टर्मिनलों पर एक्जिम ट्रैफिक में वृद्धि करने के उद्देश्य और भविष्य की चुनौतियों से पार जाने के लिए कॉनकॉर आधुनिक कंटेनर हैडलिंग उपकरणों को भी अपना रही है। शीघ्र ही तुगलकाबाद, नई दिल्ली स्थित अपने विशालतम टर्मिनल पर रबर टायर गैंन्त्री क्रेन और रेल मॉउटिड गैंन्त्री क्रेन स्थापित करने की कॉनकॉर की योजना है। इसी तरह आईसीडी दादरी के लिए आरटीजी भी खरीदी गई है। इसके अतिरिक्त ग्रेपल्लर आर्म जैसे टेलर मेड इक्यूपमेंट को कुछ टर्मिनलों पर लगाए जाने का विचार किया जा रहा है ताकि इससे अतिरिक्त टर्मिनलों की क्षमता और सक्षमता में वृद्धि करने के लिए कुछ टर्मिनलों पर ग्रेपल्लर आर्म जैसे टेलर मेड इक्यूपमैंट लगाए जाने का विचार किया जा रहा है।
वर्तमान में एक्जिम बिजनेस हेतु कॉनकॉर के पास वेयरहॉउस के लिए लगभग 1 लाख 10 हजार वर्ग मीटर का क्षेत्र है जो पारंपरिक वेयर हॉउस के अलावा बांडेड कार्गों हैंडलिंग, मल्टी स्टैलिंग, एलसीएल कार्गों कंसोलिडेशन, एयर कार्गों हैंडलिंग की सुविधाओं के साथ 2003-2004 तक 1 लाख 50 हजार वर्ग मीटर हो जाएगी। कॉनकॉर ले अपने सभी टर्मिनलों पर कार्गों पैलेटेशन/फूसीगेशन रिपैकिंग/स्ट्रैपिंग जैसी वैल्यूएडिड सर्विस देने की योजना बनाई है। यद्यपि वर्तमान में यह सुविधा ठेकेदारों के माध्यम से कुछ एक्जिम टर्मिनलों पर दी जा रही है। इन सेवाओं को आगे बढ़ाया जाना प्रस्तावित है। एक बार, ये सेवाएं शुरू होने पर , वेयरहाउस संबंधित सभी सुविधाए अपने उपभोक्ताओं को देने में समर्थ होगा।
देश के अंदर टर्मिनल सुविधाओ को बढाकर इसे नए बाजार में पहुंच बनाकर ही कॉनकॉर को अपने भविष्य में वृद्धि नजर आ रही है। कार्गों का कंटेनरीकृत परिवहन का वैश्विक प्रवृत्ति विशेषत: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में 1960 से बढ़ रही है। विदेशों में 75.20% जनरल कार्गों कंटेनरों से परिवहन होता है जबकि भारत के लगभग 50% पोर्ट ट्रैफिक से कुल परिवहन के संबंध में कंटेनरीकृत परिवहन 1981 में 0.2% से बढ़कर 1999-2000 में 10% तक पहुंच गया। जनरल कार्गों के परिवहन की तुलना में कंटेनरीकृत कार्गों का परिवहन में वृद्धि अधिक रही। कंटेनरीकृत कार्गों को व्यापार में प्राथमिकता दिया जाना भी परिवहन वृद्धि के कुछ कारणों में शामिल है।
वैश्विक प्रवृत्ति तो यह है कि कंटेनरीकृत कार्गों का 70 से 80% परिवहन हिंटरलैंड ग्राहक से सीपोर्ट के बीच सीधे तौर पर कंटेनर से ही होता है। भारतीय पोर्ट पर कुल संचालित किए जाने वाले कंटेनरों में कॉनकॉर का वर्तमान संचालन में हिस्सा 30% है। इस तरह से विदेशी व्यापार में वृद्धि की आंतरिक संभावना है। अपने अस्तित्व के दशकों बाद, कंपनी के एक्जिम बिजनेस की थ्रूपुट में वृद्धि लगभग 20% प्रतिशत वार्षिक रही है।
सीएसएस ऑपरेटर के रूप में कॉनकॉर निम्नलिखित वर्णित सेवाएं भी प्रदान करता है:-
- आयातित/निर्यातित कार्गो को ट्रांजिट वेयरहॉउस सुविधा
- बॉडेड वेयर हॉउस सुविधा, इससे आयातकर्ता आयातित माल को रखने की सुविधा मिलती है और वह आवयश्कतानुसार माल की आंशिक सुपुर्दगी कर भुगतान आस्थिगत करके ले सकता है।
- कुछ टर्मिनलों पर एयर कार्गों कॉम्पलैक्स की व्यवस्था
- एल सी एल कार्गो का समेकन
- रीफर मूवमेंट