CONCOR

एक नवरत्‍न कंपनी
Container Corporation India Ltd.
लॉजिस्टिक्स की बात, कॉनकॉर के साथ
 
भावी योजनाएं

भावी योजनाएं

वर्ष 2000-01 से लेकर 2010-11 तक की अवधि के दौरान सभी भारतीय पत्तनों पर कंटेनर यातायात 13.95% सी.ए.जी.आर. की दर से बढा जिसमें प्रमुख पत्तनों की 11.81% सी.ए.जी.आर. दर भी शामिल है। इस अवधि के दौरान कंटेनरीकृत कार्गो की मात्रा 2.47 मिलियन टी.ई.यू. से बढकर 9.11 मिलियन टी.ई.यू. हो गई। चूँकि बाह्य व्यवसाय की वृद्धि जी.डी.पी. से अधिक है, अत: भविष्य में भी इसी प्रकार के ट्रेंड के जारी रहने की संभावना है। इसी प्रकार, आतंरिक क्षेत्र में कंटेनर यातायात में वृद्धि की अत्यधिक संभवनाएं हैं क्योंकि जी.डी.पी. की वृद्धि के मजबूत ट्रेंड जारी हैं और उद्योग जगत को मूल्य योजित सेवाओं की आवश्यकता है, निकट भविष्य में उद्योग जगत को लॉजिस्टिक पार्कों, बडे कार्गो केंद्रों की आवश्यकता होगी क्योंकि बडे खुदरा श्रृखलाएं प्रोफेशनल प्रबंधित कार्गो वितरण प्रणाली हेतु मांग करती है। अन्य 16 कंटेनर ट्रेन परिचालकों हेतु रेल क्षेत्र खोल देने से बाह्य व्यावसायिक वातावरण बदल गया है जिससे कॉनकॉर को विकास हेतु विभिन्न कार्यनीतिक योजनाएं अपनाने की आवश्यकता होगी।

अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र के साथ-साथ आंतरिक क्षेत्र के मूल्य आधारित परिवहन श्रृखंला के सभी खंडों में कंपनी की उपस्थिति की विस्तार की संभावनाओं को देखते हुए अपने ग्राहकों को संपूर्ण संभारतंत्र एवं परिवहन समाधान उपलब्ध कराने पर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। आधारभूत संरचना के साथ-साथ वेल्यू चेन के अन्य खंडो में विस्तार, दोनों के अधिकतम उपयोग हेतु नीतिगत गठजोडों के लिए संभवनाएं तलाशनी होंगी।

काफी संख्या में नए उभरते पत्तनों जैसे मुंद्रा, पीपावव, विजाग, तूतीकोरिन, वलारपदम, एन्नौर, कृष्णापटटनम, कराईकल और गुजरात में कुछ छोटे पत्तनों जैसे पोरबंदर, ओखा, मरोली आदि का देश के अंदरूनी भाग में कंटेनरों के आवागमन का अत्यधिक प्रभाव पडेगा। इसके अतिरिक्त, कंटेनर यातायात का अंदरूनी भागों तक पहुंचने का स्तर, जोकि अभी तक काफी कम है, में भी कई गुणा वृद्धि होने की संभावना है। इस वातावरण में परिवर्तन से कॉनकॉर के लिए नए व्यावसायिक अवसरों को पहचानने की अत्यधिक संभवनाएं हैं और नए कोरीडोरों का विस्तार करके बाजार में अग्रणी बनी रह सकती है। कॉनकॉर नए पत्तनों में से कइयों के साथ नीतिगत गठजोड कर रहा है।

कॉनकॉर की परिवहन योजना में अभी रेलमार्ग ही प्रमुख आधार है। व्यावसायिक ट्रेंडों का अब झुकाव परिवर्तित होकर अधिक से अधिक द्वार से द्वार तक वितरण की ओर हो रहा है। इससे ग्राहकों को एकल खिडकी से अनुमति की सुविधा उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। इसके लिए अन्य संबंधित एंजेसियों तथा परिवहन बिचौलियों के साथ कंटेनरों में कार्गो की द्वार से द्वार तक आवागमन हेतु घनिष्ठ समनव्य या गठजोड करने की आवश्यकता होगी।

सडक मार्ग से प्रतिस्पर्धा करने हेतु, जो एकल मूल्य के आधार पर कंटेनरो का द्वार से द्वार तक परिवहन उपलब्ध कराता है, एक दस्तावेज के माध्यम से एकल खिडकी सेवा भविष्य की मुख्य विशेषता होगी। यह कंपनी सभी विभिन्न टर्मिनलों के लिए किफायती प्रमुख प्रक्रियाओं को अंगीकार करना जारी रखेगी। बेंच मार्किंग की प्रक्रिया के माध्यम से उन कारकों, जो अपने ग्राहकों के लिए महत्वपूर्ण है, जो व्यावसायिक गठजोडों के क्षेत्रों के प्रमुख महत्वपूर्ण कारक है, को अपनाना जारी रखेगी। कॉनकॉर ने डबल स्टैक कंटेनर का कनकपुरा (जयपुर) और पीपावव तथा कनकपुरा व मुन्द्रा पत्तन के बीच इन ट्रेनों से इन पत्तनों और उत्तरी भारत के आई.सी.डी. के बीच किफायती परिवहन उपलब्ध कराया जाता है। ओ.एच.ई. तारों और पी.वे. पर अन्य स्थिर संरचनाओं के कारण डबल स्टैक ट्रेनें और कही नहीं चलाई जा सकती हैं। कॉनकॉर ने पत्तनों और आई.सी.डी. के बीच उनके कंटेनरों के परिवहन हेतु कंटेनर परिवहन क्षेत्र की अन्य अग्रणी कंपनियों के साथ एम.ओ.यू. भी तैयार किया है।

कॉनकॉर ने एयर कार्गो व्यवसाय की देख-रेख करने हेतु एक विशेष प्रभाग बनाया है जिसके दो अवयव हैं :

1. बॉंडेड ट्रकिंग सेवाएं और    2.एयर कार्गो परिसर.

कंपनी बॉंडेड ट्रकिंग सेवाओं का प्रबंध अपने आई.सी.डी और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय वायुपत्तनों यथा मुबंई, बैंगलोर, हैदराबाद, इंदौर, अहमदाबाद, अमृतसर, चैन्नई और दिल्ली के बीच करती है। कंपनी इन सेवाओं का अंदरूनी भाग हेतु सीमाशुल्क अनुमति के साथ वायुपत्तनों से जुडाव करके अन्य स्थानों से विस्तार कर रही है। एच.ए.एल., ओजार एयरपोर्ट, नासिक ने अपना परिचालन शुरू कर दिया है। गोवा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर स्थित एक्जिम पेरीशेबल कार्गो के संचालन हेतु पेरीशेबल कार्गो केंद्र ने भी अपना परिचालन शुरू कर दिया है। न्यू मुलुंद, साबरमती, लुधियाना, बैंगलोर और पुणे जैसे विद्यमान आई.सी.डी. में एयर फ्रेट स्टेशन स्थापित करने की योजनाएं एंडवास स्टेज पर हैं।

पोर्ट टर्मिनल ऑपरेटर की श्रेणी में कॉनकॉर ने जे.एन. पत्तन पर थर्ड बर्थ हेतु मैसर्स मर्स्क ए/एस कोपेनहेगन के साथ संयुक्त उद्यम तैयार किया है। वल्लारपदम पत्तन पर कंटेनर टर्मिनल की स्थापना करने और प्रबंधन करने हेतु कॉनकॉर ने दुबई पोर्ट वर्ल्ड के साथ एक संयुक्त उद्यम भी बनाया है। इससे इस क्षेत्र में और विस्तार की नई संभावनाएं खुली हैं।

कॉनकॉर के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी मैसर्स. फ्रेश एंड हैल्दी एंटरप्राईजेज ने उत्तर भारत के सेब व्यवसाय में अपनी पहचान बना ली है और इसके सोनीपत(हरियाणा) के पास राई में वातावरण नियंत्रित भंडारगृह ने अपना परिचालन शुरू कर दिया है।

आंतरिक व्यवसाय हेतु कॉनकॉर प्रगामी विपणन प्रयासों के द्वारा कंटेनरीकरण योग्य सामान्य कार्गो का उल्लेखनीय हिस्सा वापस रेलमार्ग पर लाने हेतु प्रतिबद्ध है। इस क्षेत्र में मुख्य प्रतिस्पर्धा सडक मार्ग से ट्रकों द्वारा ढोए जा रहे माल से है। हालांकि, हम बेहत्र जोखिम कवरेज देते हैं और इसके अतिरिक्त हमारा नियंत्रित परिवहन समय है तथा समग्र रूप से विश्वसनीय उपलब्ध कराते हैं, तथापि हम यह महसूस करते हैं कि हम उस ट्रैफिक को अपनी ओर लाने के लिए तैयार हो चुके हैं जो अभी तक सडक मार्ग का प्रयोग करता है। आज आंतरिक व्यवसाय में वृद्धि की बहुत अधिक संभवनाएं हैं। यदि इस बात पर ध्यान दिया जाए कि उपभोक्ता केंद्रों की उत्पादन केंद्रों से दूरी बहुत अधिक है, परिवहन हेतु बडी मांग हमेशा बनी रहेगी। उच्च क्षमता वाली उपभोक्ता माल उद्योगों की स्थापना भी यह इंगित करती है कि ‘नॉन बल्क’ ट्रैफिक में वृद्धि ‘बल्क ट्रैफिक’ की अपेक्षा अधिक तेज होने की आशा है क्योंकि दोनों के वर्तमान शेयर अनुपात 35-65 में निर्णायक वृद्धि होगी। उल्लेखनीय है कि अधिकांश ‘नॉन बल्क ट्रैफिक’ कंटेनरीकरण योग्य है और आंतरिक क्षेत्र में कॉनकॉर के लिए अत्यधिक बाजारी संभावनाएं हैं।

रेलमार्ग पर एक जगह से दूसरी जगह के लिए नियमित व निर्धारित सेवाएं देना अभी तक डोमेस्टिक ट्रैफिक को पकडने का प्रमुख आधार रहा है। इन कॉनराज/कॉनट्रैक सेवाओं को कई और मूल-गंतव्य स्थानों के बीच विस्तार किया जाएगा। नए अधिप्राप्त किए गए बी.एल.सी/बी.एल.एल रोलिंग स्टॉक के प्रयोग द्वारा बेहतर दक्षता लाई जाएगी। सेवाओं को ग्राहकोन्मुखी करके विशेष कार्गो एवं निगमों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और एक बृहद टर्मिनल नेटवर्क तैयार किया जाएगा।

अंतरराष्ट्रीय और आंतरिक व्यवसाय, दोनों के लिए विकास कार्यनीति का प्रमुख पक्ष संगठन के अंदर ही आंतरिक संभारतंत्र श्रृंखला के अधिकतम उपयोग पर केंद्रित होगा। एकीकृत सेवा प्रदाता से आगे जाने के प्रयास में कॉनकॉर थर्ड पार्टी संभारतंत्र सेवा प्रदाता के रूप में आगे बढेगा। अपने मुख्य व्यवसाय को क्षेत्रों यथा भंडारगारण, प्रशीतित कार्गो भंडारण एवं परिवहन तथा अन्य मूल्य योजित सेवाओं का अत्यधिक प्रावधान करना, तक बढाकर कॉनकॉर आगे बढेगी। द्वार से द्वार तक आंतरिक व्यवसाय की देखरेख करने हेतु कॉनकॉर ने इनफिनिट लॉजिस्टिकस सोल्यूशंस प्रा.लि. के साथ एक संयुक्त उद्यम का गठन भी किया है। ऑटो संभारतंत्र क्षेत्र की आवश्यकताओं की पूर्ति करने हेतु एन.वाय.के.लाइन (इंडिया) लि. के साथ कॉनवाईके कारट्रेक प्रा.लि. नामक एक अन्य संयुक्त उद्यम का गठन किया है।

बाजार के हिस्सेदारी बढाने हेतु समग्र कार्यनीति के एक अंश के रूप में कॉनकॉर अपने संभावित ग्राहकों को बहुविध, परिवहन एवं संभारतंत्र परामर्शी सेवाएं देने का भी विचार करेगा। ये संभावित ग्राहक सीधे-सीधे शिपर्स हो सकते हैं या मध्यस्थ एंजेसियां जैसे कि शिपिंग लाईंस, फारवार्डिंग एंजेंट, टर्मिनल संचालक आदि हो सकते हैं। सभावित ग्राहकों में सरकारी संस्थाएं या निजि व्यावसायिक संगठनों आदि को भक्ष्य माना जा सकता है।

कॉनकॉर भारतीय रेल की निजी माल-भाडा टर्मिनल नीति को लेने की भी आशा करती है और नीतिगत स्थानों पर मल्टीमॉडल लॉजिस्टिकिस पावर्स स्थापित करेगी जिसके लिए प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी गई है।